धान की खेती के लिए नर्सरी लगाने का कार्य करें संपन्न: कृषि वैज्ञानिक
जून का महीना समाप्त हो रहा है, लेकिन किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। पूसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की बुवाई के लिए सुझाव दिए हैं। धान के बिचड़े की नर्सरी जल्द से जल्द गिराने की सलाह...

सिंघौल, निज संवाददाता। जून माह अपने अंतिम पड़ाव पर है लेकिन किसान भाइयों को अपने खेतों ने बुआई के लिए और बारिश का इंतजार है। ऐसे में पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की ओर से किसान भाइयों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए गए हैं। इसके अनुसार जो किसान अब तक धान का बिचड़ा नहीं गिराये हों, नर्सरी गिराने का कार्य यथाशीघ्र पूरा करें। धान की अगात किस्में जैसे-प्रभात, धनलक्ष्मी, रिछारिया, साकेत 4, राजेन्द्र भगवती एवं राजेन्द्र नीलम उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई हेतु 800-1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बीज गिरावें। नर्सरी में क्यारी की चौड़ाई 1.25-1.5 मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार रखें।
बीज को बविस्टिन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से मिलाकर बीजोपचार करें। जिन किसानों के पास धान का विचडा तैयार हो वे नीची तथा मध्यम जमीन में सिंचाई देकर रोपनी कर सकते है। धान की रोपाई के समय उर्वरकों का व्यवहार सदैव मिट्टी जांच के आधार पर करें। अगात एवं मध्यम धान की किस्में, जिनकी किसान भाई सीधी बुवाई करना चाहते है, ऐसे किसान भाई खेत में ही धान को छिटकॉया विधि से सीधी बुवाई कर सकते है। यदि खेत सूखा है तो सीडड्रील मशीन से या छिटकॉवा विधि से बुवाई कर सकते हैं। सूखे खेत में सीधी बुवाई करने पर बुधाई के 48 घंटे के अन्दर खरपतवारनाशी दवा पेन्डिमेथीलीन 1.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि बुवाई के बाद बारिश शुरू हो जाती है तो पेन्डिमेथीलीन दया का छिड़काव न कर वैसी हालत में बुवाई के 10-15 दिनो के बीच में नागिनी गोल्ड (बिसपेरिबेक सोडियम 10: एससी) दवा का 100 एमएल प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। ऐसे किसान जिसके पास सिचाई की व्यस्था उपलब्ध नहीं है, वैसे किसान उचास जमीन में रागी की किस्म आर०ए०यू०-8 एवं राजेंद्र महुआ-1 की बुवाई कर सकते है। बुवाई के समय इस किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 20 किलोग्राम स्फुर एवं 20 किलोग्राम पोटाश का व्यवहार करें।
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