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कुमरसार नदी पर नया पुल नहीं बनने से इसबार भी शिवभक्तों को होगी परेशानी

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- पीके विश्वकर्मा - कांवरिया पथ धौरी और कुमरसार के बीच बनना है नया पुल - 2019 में ही ध्वस्त हो गया था

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाTue, 24 June 2025 04:24 AM
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कुमरसार नदी पर नया पुल नहीं बनने से इसबार भी शिवभक्तों को होगी परेशानी

बेलहर(बांका)/ निज प्रतिनिधि विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू होने में अब चंद दिन बांकी हैं। बांका जिला के कांवरिया पथ धौरी और मुंगेर जिले के कुमरसार के बीच बदुआ नदी पर अब तक दूसरे पुल का निर्माण नहीं हो सका है। इस साल भी सुल्तानगंज से कांवर लेकर बाबा धाम जाने वाले शिव भक्त कांवरियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। श्रावणी मेला एक महीने तक चलता है। इस एक महीने में प्रतिदिन हजारों कांवरिया नदी से गुजरते हैं। इतना ही नहीं भादो महीने में भी श्रावणी मेला का आलम बना रहता है। लेकिन इस बीच नदी में बाढ़ आ जाने के कारण कांवरियों उफनती हुई नदी को पार कर आगे की यात्रा करना मुश्किल हो जाता है।

जबकि नदी पर पुल रहने से नदी में बाढ़ आ जाने के बाद कांवरिया आसानी से पुल पार कर आगे की यात्रा तय करते हैं। जबकि हजारों कांवरिया वाहनों को भी गुरजरने में आसानी होती है। क्या है धौरी कुमरसार नदी पर पुल का इतिहास : कांवरिया पथ धौरी और कुमरसार के बीच बहती बदुआ नदी में वर्ष 2009 के पहले श्रावणी मेला के दौरान बाद आ जाने से कांवरियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कांवरियों को 12 किलोमीटर घूमकर बेलहर साहबगंज के रास्ते जिलेबिया मोड़ तक पहुंचना पड़ता था। कुछ कांवरिया नदी पार करने की कोशिश करते थे। जिसमें नदी पार करने के दौरान कई कांवरिया पानी के तेज धार में बह जाते थे। स्थानीय लोग कांवरियों को पकड़ कर नदी पार कराते थे। इस दौरान बीच धार में कांवरियों से असमाजिक तत्वों के द्वारा रुपए, जेवरात, झोला, घड़ी, आदि की छिनतई की भी घटनाएं हो जाती थी। इसके बाद इन घटनाओं से बचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नदी में दर्जनों की संख्या में सीमेंट का पिलर गाड़कर लोहे का सिकड़ लगाया गया। जिससे कांवरिया उसके सहारे नदी पार करे। इसके बाद बांका और मुंगेर जिला के प्रशासन के संयुक्त पहल से पुल निर्माण निगम द्वारा वर्ष 2009 में नदी पर पुल निर्माण का कार्य पूरा कर दिया गया। जिससे लाखों कांवरियों को राहत मिलने के साथ सतह बांका जिला मुंगेर जिले से जुड़ गया और आवागमन सुलभ हो गया। लेकिन वर्ष 2019 में 10 वर्ष में ही पुल ध्वस्त हो गया। इसके बाद संबंधित विभाग द्वारा पुल पर दीवार खड़ी कर आवागमन बंद कर दिया गया। इसके बाद पुल के बगल में डायवर्सन का निर्माण कराया गया। लेकिन बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। सामरिक दृष्टि से भी है पुल का महत्त्व : कांवरिया पथ धौरी और कुमरसार के बीच बदुआ नदी पर पुल का सामरिक महत्व है। यह पुल बांका जिले को सीधे मुंगेर जिले से जोड़ता है। जिससे बांका, गोड्डा, दुमका सहित झारखंड राज्य के ने जगहों से भी धौरी कुमरसार पुल पार कर मुंगेर और उसके रास्ते उत्तरी और पश्चिमी बिहार का सफर बिल्कुल आसान हो जाता है। व्यापार, व्यवसाय के मामले में भी इस रास्ते से समय और दूरी की कमी से व्यापारियों को सुविधा और लाभ दोनों मिलते हैं। अब क्या स्थिति :- लोगों का मानना है कि पुराना पुल ध्वस्त हुए पांच वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक नए पुल का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। जिससे इस साल भी कांवरियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बोले जिम्मेदार नया पुल निर्माण का टेंडर हो चुका है। 23 करोड़ रुपए की लागत से पुल का निर्माण देवघर के संबेदक मनोज कुमार सिंह के द्वारा कराहा जाएगा। पुल निर्माण का कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा। मनोज यादव(विधायक बेलहर विधान सभा) :- क्या कहते हैं ग्रामीण : नदी पर पुल नहीं बनने से परेशानी हो रही है। पुल जितना जल्द हो बनना चाहिए।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। अजीत कुमार सिंह धौरी गेट बांका जिला का प्रवेश द्वार है को नदी किनारे बसा है। कांवरिया यहां से बांका जिला में प्रवेश करते हैं। नदी पर दूसरे पुल की मांग उठती रही है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। आनंद विजय नदी पर पुल नहीं बनने से इस साल भी कांवरियों को परेशानी होगी। नदी में जल स्तर बढ़ने से कांवरियों को नदी पार करना मुश्किल होता है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। हिमांशु कुमार श्रावणी मेला के दौरान प्रति दिन हजारों कांवरिया यहां से गुजरते हैं। नदी में बाढ़ आने से कांवरियों का रूट बदल जाता है। जिससे धौरी से चंदन नगर तक कांवरिया पथ में श्रावणी मेला फीका हो जाता है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। मिथिलेश कुमार सिंह कांवरियों में हजारों की संख्या में महिला कांवरिया भी होती हैं। जन बाद के कारण नदी पार करना मुश्किल होता है। बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। मीना देवी श्रावणी मेला में कांवरियों और कांवरिया वाहनों की भारी भीड़ होती है। जबकि बातिश में डायवर्सन भी क्षतिग्रस्त हो जाता है। बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। रंजय कुमार सिंह पुराना पुल ध्वस्त हो जाने के इतने दिन बाद भी दूसरा पुल निर्माण नहीं हो सका है। जिससे आम आवागमन भी प्रभावित हो रहा है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। दिलीप कुमार सिंह पुल ध्वस्त होने के बाद डायवर्सन भी ऐसा बनाया गया है जो बारिश में बार बार क्षतिग्रस्त हो जाता है। जिससे आवागमन बाधित हो जाता है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। सूचित साह पुल नहीं रहने से कांवरियों को भारी परेशानी होती है। बालक कांवरियों के तेज भाव में डूबने का खतरा बढ़ जाता है। बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। त्रिवेणी रजक पुल के पास बालू के उत्खनन से पुल जल्द ही ध्वस्त होने का खतरा रहता है। पुल के आसपास बालू उत्खनन पर प्रतिबंध लगना चाहिए।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। संतोष सिंह नया पुल निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। विभाग के लोगों द्वारा मिट्टी जांच के लिए भी ले जाया गया है।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। मृगेंद्र कुमार सिंह(भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य) श्रावणी मेला में नदी में बाढ़ आ जाने पर प्रतिदिन हजारों कांवरियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुल का निर्माण जल्द ही हो जाना चाहिए।बारिश और नदी की बाढ़ नहीं झेल पाने के कारण समय समय पर डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से आवागमन बाधित हो जाता है। संजीव कुमार सिंह(पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष)

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