बिहार में मॉनसून आते ही 3 साल पुराना पुल धंसा, कई जगह दरारें; भारी वाहनों की एंट्री बैन
बिहार में बारिश की शुरूआत होते ही पुलों की धंसने की घटनाएं फिर सामने आने लगी हैं। ताजा मामला गया जी का है, जहां 3 साल पुराने पुल का पाया धंस गया, साथ ही कई जगह दरारें आ गई। जिसके बाद पुल पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है।

बिहार में मॉनसून आते ही पुलों के धंसने का सिलसिला शुरू हो गया है। गया जी के डोभी प्रखंड के निलंजना नदी पर बने कोठवारा-बरिया पुल का धंस गया। पुल में कई जगह दरारें भी आ गई हैं। जिसके बाद पुल पर बैरिकेटिंग कर दी गई है, भारी वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। आपको बता दें नबार्ड की वित्तीय सहायता से करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण हुआ था।
2022 में बनकर तैयार हुए पुल में तीन साल के भीतर ही दरार और पुल का एक पाया धंस गया। निर्माण के बाद पुल पर आवागमन जारी है, लेकिन अभी तक उद्घाटन नहीं हुआ है।
आपको बता दें बीते साल 2024 में बारिश के सीजन में एक के बाद एक कई पुलों के धंसने की घटनाएं सामने आई थीं। सिर्फ 11 दिनों में 6 पुल ढह थे। पूर्वी चंपारण, सीवान किशनगंज, अररिया समेत कई जिलों से पुल ढहने की घटनाएं सामने आई थीं।
बीते साल 18 जून को अररिया में पुल गिरा था, 22 जून को सीवान में, 23 जून को मोतिहारी में पुल ढह गया था। जिसके बाद बिहार में पुलों के रखरखाव की नीति (ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी) लागू की गई। इस नीति के आधार पर पुलों का हेल्थ कार्ड बनेगा और रखरखाव के लिए विशेष प्रभाग (डिविजन) का गठन होगा। मुख्य अभियंता इस डिवीजन के हेड होंगे। इनके साथ ही अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंताओं की टीम होगी।
टीम के इंजीनियर नियमित तौर पर पुल-पुलियों की जांच करेंगे। जांच केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि वीडियो व तस्वीर के साथ होगी। जहां भी इन्हें गड़बड़ी मिलेगी, वे इसकी जानकारी तत्काल विभाग को देंगे। अगर रखरखाव में कोताही बरती गई तो उसे चिह्नित कर विभाग सख्त कार्रवाई भी करेगा।