मानव जीवन में होते हैं चार आश्रम : जीयर स्वामी
फोटो कैप्सन - पीरो प्रखंड के परमानंद नगर में बुधवार को प्रवचन करते संत जीयर स्वामी।

पीरो, संवाद सूत्र। पीरो प्रखंड के परमानंद नगर में चातुर्मास व्रत स्थल पर संत लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने बुधवार को कहा कि मानव जीवन में चार आश्रम होते हैं। ब्रह्मचर्य आश्रम में जन्म के बाद 25 वर्ष तक व्यक्ति, शिक्षा, संस्कार और ब्रह्मचर्य रहते हुए प्राप्त करता है। दूसरा गृहस्थ आश्रम 25 से 50 वर्ष के बीच होता है। गृहस्थ आश्रम में शादी विवाह कर पुत्र - पुत्री, वंश परंपरा का विस्तार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शादी-विवाह गृहस्थ आश्रम में धर्म और मार्यदा के अनुसार होना चाहिए। गोत्र, कुल, खानदान और नारी का विशेष ध्यान रखा जाता है।
यदि लड़का और लड़की का कुल और गोत्र समान हो तो विवाह नहीं करना चाहिए। मानव जीवन में गृहस्थ आश्रम सर्वश्रेष्ठ है। ब्रह्मचर्य आश्रम वैसे लोगों के लिये श्रेष्ठ है, जो 25 वर्ष के बाद भी अविवाहित रहकर भगवान की आराधना करते हैं। तीसरा वानप्रस्थ आश्रम होता है। 50 वर्ष से 75 वर्ष के बीच के लोग गृहस्थ मार्यादा से अलग रहते हुए तीर्थ, व्रत, पूजा और पाठ में अपना समय बिताते हैं। वानप्रस्थ आश्रम में पति और पत्नी को निरंतर भगवान की अराधना करते हुए तपस्या में समय बिताना चाहिए। चौथा सन्यास आश्रम ऐसा है, जिसमें बाल्यकाल से ब्रह्मचर्य रहते हुए भगवान की आराधना करनी पड़ती है।
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