Hindi Newsऑटो न्यूज़Hyundai Tests 4.25 Million Powertrains With Cold Bed Engine Testing Tech, check details

हुंडई ने चौंकाया! बिना पेट्रोल-डीजल और पानी के टेस्ट किए 4.25 मिलियन इंजन, 8 करोड़ की बचत और लाखों किलो CO₂ की कटौती

हुंडई अब नई टेक्नोलॉजी कोल्ड बेड इंजन टेस्टिंग (Cold Bed Engine Testing) के जरिए अपने इंजनों की टेस्टिंग कर रही है। इसमें बिना पेट्रोल, बिना डीजल और बिना किसी कूलेंट के इंजन की टेस्टिंग होती है। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं।

Sarveshwar Pathak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 23 June 2025 06:54 PM
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हुंडई ने चौंकाया! बिना पेट्रोल-डीजल और पानी के टेस्ट किए 4.25 मिलियन इंजन, 8 करोड़ की बचत और लाखों किलो CO₂ की कटौती

भारत में कार बनाने वाली दिग्गज कंपनी हुंडई (Hyundai) ने एक ऐसी तकनीक को अपनाया है, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि कंपनी के ऑपरेशन खर्चों को भी करोड़ों में घटा रही है। बात हो रही है हुंडई के कोल्ड बेड इंजन टेस्टिंग (Cold Bed Engine Testing) टेक्नोलॉजी की। यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें बिना पेट्रोल, बिना डीजल और बिना किसी कूलेंट के इंजन की टेस्टिंग होती है। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं।

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क्या है कोल्ड बेड इंजन टेस्टिंग?

इस तकनीक की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें इंजन को स्टार्ट ही नहीं किया जाता है। यानी कि इंजन के अंदर फ्यूल जलाया नहीं जाता, फिर भी उसकी परफॉर्मेंस और क्वॉलिटी को पूरी तरह टेस्ट किया जाता है।

हुंडई की इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रिक मोटर के जरिए इंजन का क्रैंकशॉफ्ट घुमाया जाता है। सेंसर के जरिए कंप्रेशन, चेंबर प्रेशर और क्रैंक एंगल जैसे डेटा रिकॉर्ड किए जाते हैं। यह सब कुछ बिना एक बूंद फ्यूल जलाए और बिना किसी धुएं के होता है।

क्या हैं इसके फायदे?

इससे होने वाला सबसे बड़ा फायदा शून्य प्रदूषण (Zero Emissions) है। जी हां, क्योंकि इससे न धुआं होता है और न ही टॉक्सिक गैस निकलती है। इसकी टेस्टिंग बिना पानी और कूलेंट के होती है, जिससे हजारों लीटर पानी की बचत भी होती है। इसके साथ ही 1 मिलियन डॉलर की बचत होती है। इस तकनीक से अब तक करीब 8.3 करोड़ की लागत बचाई गई है। डेटा बेस्ड परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग के जरिए हर इंजन की डिजिटल रिपोर्ट तैयार होती है।

अब तक कितने इंजन हुए टेस्ट?

हुंडई इंडिया ने 2013 से अब तक 4.25 मिलियन (42.5 लाख) इंजन इस पद्धति से टेस्ट किए हैं। इसने करीब 20 लाख किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन को रोका है। यानी हजारों पेड़ों के बराबर पर्यावरण को बचाया गया है।

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ग्लोबल मिशन में भारत की भूमिका

हुंडई का ग्लोबल लक्ष्य है कि वह 2045 तक पूरी तरह नेट-जीरो (शून्य उत्सर्जन) कंपनी बन जाए। भारत में इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग इस लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम है। इस तकनीक को अपनाने से न सिर्फ भारत में बना हर इंजन अब ज्यादा इको-फ्रेंडली हो गया है, बल्कि यह दिखाता है कि टिकाऊ भविष्य की शुरुआत फैंसी कारों या EV से नहीं, बल्कि फैक्ट्री की दीवारों से भी हो सकती है।

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