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Yogini Ekadashi 2025: कब होगा योगिनी एकादशी का पारण, नोट करें टाइम व विधि

Yogini Ekadashi 2025: कल भी एकादशी का व्रत रखा जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, योगिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। वहीं, योगिनी एकादशी की पूजा ही नहीं पारण का भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 June 2025 07:28 PM
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Yogini Ekadashi 2025: कब होगा योगिनी एकादशी का पारण, नोट करें टाइम व विधि

Yogini Ekadashi 2025: आज और कल विष्णु भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रख प्रभु की आराधना करेंगे। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो योगिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। वहीं, योगिनी एकादशी की पूजा ही नहीं पारण का भी मुहूर्त देखा जाता है। आइए जानते हैं कब होगा योगिनी एकादशी व्रत का पारण व विधि-

कब होगा योगिनी एकादशी का पारण, नोट करें टाइम: पंचांग अनुसार, आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि का व्रत पारण 22 जून को गृहस्थ लोग व 23 जून को वैष्णव व गौण संप्रदाय के लोग करेंगे। 22 जून को पारण (व्रत तोड़ने का) शुभ मुहूर्त दोपहर 1:47 से शाम 4:35 तक रहेगा। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय 09:41 ए एम है। 23 जून को पारण (व्रत तोड़ने का) मुहूर्त सुबह 05:24 से 08:12 ए एम तक रहेगा। पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।

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योगिनी एकादशी व्रत पारण विधि

  • स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें
  • भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  • अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
  • प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं
  • अंत में व्रत संकल्प पूर्ण करने व क्षमा प्रार्थना करें

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व्रत पारण के समय ध्यान रखें ये बातें- दृक पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्य के उदय होने के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना शुभ नहीं माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो विष्णु भक्त व्रत कर रहे हैं, उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि मानी जाती है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे शुभ समय प्रातः काल का होता है। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातः काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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