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तन-मन के मैल से सबको मिले मुक्ति

यदि आप शरीर में सुधार लाना चाहते हैं तो आपको शरीर के लिए उपयोगी योगाभ्यासों का चुनाव करना होगा, लेकिन यदि आप तनाव और दबाव से गुजर रहे हैं, चिंताग्रस्त हैं, अवसाद, भय और मानसिक कुंठाओं से पीड़ित हैं तो आपको उन योगाभ्यासों को अपनाना होगा, जो मनुष्य के मनोवैज्ञानिक व्यवहार से संबंधित हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, स्वामी सत्यानंद सरस्वती, नई दिल्लीTue, 17 June 2025 08:52 AM
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तन-मन के मैल से सबको मिले मुक्ति

आज की आपाधापी में ज्यादातर लोगों का मन भी दूषित है और तन भी। ऐसे में परेशान लोग अक्सर सोचते हैं कि उनका जीवन कैसे सुखमय हो सकता है? जब हम समाधान खोजते हैं, तब सबसे पहले योग अभ्यास पर ध्यान जाता है। कितना जरूरी है योग अभ्यास?

योग का विज्ञान, दर्शन और अभ्यास सार्वभौमिक है। यह किसी संस्कृति, परंपरा या धर्म के दायरे में सीमित नहीं है। इसका संबंध हमारे संपूर्ण अस्तित्व से है, इसलिए यह सार्वभौमिक है।

हमें चुनाव खुद करना है। हम योग को किस प्रकार और क्यों स्वीकार करें। यदि हमारा शरीर अस्वस्थ है, तब हमें योग के शारीरिक पक्ष का चुनाव करना है और उससे संबंधित अभ्यासों को करना है, तभी हम स्वस्थ हो पाएंगे।

यदि आप शरीर में सुधार लाना चाहते हैं तो आपको शरीर के लिए उपयोगी योगाभ्यासों का चुनाव करना होगा, लेकिन यदि आप तनाव और दबाव से गुजर रहे हैं, चिंताग्रस्त हैं, अवसाद, भय और मानसिक कुंठाओं से पीड़ित हैं तो आपको उन योगाभ्यासों को अपनाना होगा, जो मनुष्य के मनोवैज्ञानिक व्यवहार से संबंधित हैं।

आचरण पर रखें काबू

परिवार और समाज में हम लोग ऐसे परिवेश में रहते हैं कि हमें अपनी भावनाओं का दमन करना पड़ता है। मानव जाति अपने आचरण और व्यवहार में स्वच्छंदता नहीं बरत सकती, क्योंकि यह ध्यान रखना है कि समाज में पहले से ही बहुत ज्यादा अराजकता और अनुशासनहीनता है।

इस अनुशासनहीन समाज में आपको आत्मदमन करना पड़ता है। आप अपने भावों, विचारों, वासनाओं, क्रोध, घृणा, चिंता और प्रेम को दमित करते हैं। आप अपनी समझदारी को भी दबाते हैं। इस दमन से आपका मन भी तनावग्रस्त हो जाता है।

मान लीजिए अपने घर का कचरा फेंकने का आपके पास कोई विकल्प नहीं। तब इस कचरे का क्या करेंगे? इसे अपने घर में ही जमा रखना होगा। आप एक दिन, दो दिन, दस दिन, एक महीना, दो महीना, एक साल, दो साल, दस साल तक घर के भीतर कचरे को इकठ्ठा करते जाएंगे। अंत में क्या होगा? कचरे से दुर्गंध आएगी, देखने में बुरा लगेगा, स्वास्थ्य पर बुरा असर होगा।

दो ही विकल्प

जो कचरा आपने अपने घर में अनेक सालों से जमा कर रखा है, उसके अब दो ही विकल्प हैं। या तो उसे घर में ही रहने दीजिए और यातनाएं सहिए या दरवाजे के बाहर कहीं ऐसी खुली जगह में फेंक आइए ताकि आपके पड़ोसियों को भी उसका दुष्परिणाम न भुगतना पड़े। इसी तरह आपको अपना मानसिक और भावनात्मक कचरा भी फेंकना है। मगर कैसे? आपको योग निद्रा और अंतर्मन जैसे योगाभ्यासों को चुनना होगा, जिनका संबंध मनोवैज्ञानिक व्यवहार से है।

हाल में शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि मानसिक समस्याओं का निदान योगाभ्यास द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

आंतरिक शक्ति जाग्रत करें

यदि आप अपनी आंतरिक शक्ति को जाग्रत करना चाहते हैं, यदि आप मन के पीछे के मन का अनुभव करना चाहते हैं, मानव के पीछे के मानव से संपर्क साधना चाहते हैं, उस तत्व से साक्षात्कार करना चाहते हैं, जिसका कोई रूप नहीं है, कोई नाम नहीं है, पर जिसमें गति है, आवृत्ति है, तो आपको कुंडलिनी योग, क्रिया योग और तंत्र शास्त्र के उन अभ्यासों का चुनाव करना होगा, जिनसे उस आंतरिक शक्ति को जाग्रत किया जा सके।

शक्ति के क्रमबद्ध जागरण के लिए योगाभ्यास को कई चरणों में विभक्त किया गया है। सर्वप्रथम आपको अपनी शारीरिक प्रक्रियाओं को सुधारने के लिए हठयोग करना होगा।

यदि आपके शरीर में विषैले पदार्थ भरे हैं और आंतरिक अंग-उपांग ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं, यदि आपको कब्जियत है, जोड़ों में दर्द है, हृदय दुर्बल है, श्वसन क्रिया ठीक नहीं है, स्नायु-तंत्र में गड़बड़ी है और आपका मस्तिष्क उस शक्ति को संभालने में असमर्थ है, तो आप आत्म-जागरण कैसे कर पाएंगे?

ऊर्जा का जागरण

यदि आप साधारण कांच के गिलास में उबलता पानी डालेंगे तो वह टूट जाएगा। उसके लिए आपको विशेष प्रकार का गिलास चाहिए, जो उस गर्मी को आराम से बर्दाश्त कर ले।

इसी तरह जब आत्म-जागरण घटित होता है तो शरीर पर उसका प्रभाव पड़ता है। शरीर का यह विषय नहीं है। याद रखें, आंतरिक शक्ति शरीर से बिल्कुल भिन्न है, फिर भी जब ऊर्जा का जागरण होता है तो शरीर उसके प्रभाव से अलग नहीं रह सकता। स्नायु, फेफड़े, हृदय, पाचन-प्रणाली, पेशियां सहित संपूर्ण शरीर उससे प्रभावित होता है।

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