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Chaturmas 2025 : चातुर्मास में इन नियमों का करें पालन, जानें क्या करें और क्या नहीं

चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी (इसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं) से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठावनी या देवोत्थान एकादशी) तक होता है। सनातन धर्म में चातुर्मास्य की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसका अनुकरण आज भी हमारे साधु-संत करते हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानMon, 30 June 2025 01:29 PM
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Chaturmas 2025 : चातुर्मास में इन नियमों का करें पालन, जानें क्या करें और क्या नहीं

Chaturmas 2025 : चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी (इसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं) से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठावनी या देवोत्थान एकादशी) तक होता है। सनातन धर्म में चातुर्मास्य की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसका अनुकरण आज भी हमारे साधु-संत करते हैं। प्रसिद्ध धर्म ग्रंथों- महाभारत आदि में चातुर्मास की महिमा का विषद् गान किया गया है। चातुर्मास असल में संन्यासियों द्वारा समाज को मार्गदर्शन करने का समय है। आम आदमी इन चार महीनों में अगर केवल सत्य ही बोले तो भी उसे अपने अंदर आध्यात्मिक प्रकाश नजर आएगा। नाम चर्चा और नित्य नाम स्मरण भी ऐसा फल प्रदान करते हैं।

कब से शुरू हो रहा है चातुर्मास- दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 6 जुलाई से चातुर्मास का आरंभ हो रहा है और 1 नवंबर 2025 को इसका समापन होगा। मान्यता है कि इस अवधि में विष्णुजी निद्रा योग में रहते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।

देवशयनी एकादशी नाम से पता चलता है कि इस दिन से श्री हरि शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में श्री हरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी (इस बार 1 नवंबर को) भी कहा जाता है, के दिन पाताल लोक से अपने लोक लौटते हैं। इसी दिन चातुर्मास भी समाप्त हो जाते है। इन चार मासों में कोई भी मंगल कार्य- जैसे विवाह, नवीन गृहप्रवेश आदि नहीं किया जाता है।

चातुर्मास में इन नियमों का करें पालन-

मान्यता है कि इन चार माह सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए। पराए धन पर नजर नहीं रखनी चाहिए। निंदा और क्रोध का त्याग करना चाहिए। चातुर्मास में जलाशयों में स्नान करने से पाप का नाश होता है। भगवान नारायण शेष शैय्या पर शयन करते हैं, इसलिए इन चार माह में सभी जलाशयों में तीर्थत्व का प्रभाव आ जाता है। प्रतिदिन दो बार स्नान करना हितकर माना जाता है। चातुर्मास में सादे बिस्तर पर शयन करना चाहिए। चातुर्मास में तांबे और लोहे के बर्तन में भोजन न करें। चातुर्मास में पत्तल पर किया गया भोजन पुण्यदायी माना गया है।

चातुर्मास में करें ये काम- चातुर्मास में गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ होता है। इसके साथ ही चातुर्मास में विष्णुजी, माता लक्ष्मी के साथ शिव-गौरी और गणेशजी की विधिवत पूजा-आराधना करना चाहिए।

चातुर्मास में क्या न करें- चातुर्मास में शादी-विवाह, सगाई और मुंडन समेत सभी मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है। इसके साथ ही इस माह में नई प्रॉपर्टी खरीदना या गृह-प्रवेश करने से बचना चाहिए।

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